शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

inductor , [ प्रेरक] ,INDUCTANCE ,[प्रेरकत्व ]

           inductor  , [ प्रेरक] ,INDUCTANCE ,[प्रेरकत्व ]

                               

>>जब किसी ताम्बे के तार को कुंडली का आकार देकर उसमे AC  [प्रत्यावर्ती धारा ] प्रवाहित की जाये तो, कुंडली के चारो और परिवर्ती  चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है एवं कुंडली में एक विरोधी विद्युत वाहक बल पैदा होता है। 
>>इस ताम्बे के तार की कुंडली को प्रेरक व्  इस गुण को प्रेरकत्व कहते है। 

                                         L = NØ  /   I
 
 कुंडली द्वारा उत्पन्न प्रेरकत्व कुंडली के आधार पर निर्भर करते है ,क्यों की ये ही चुंबकीय  रेखाओ को मार्ग प्रदान करते है। 
1 . वायु क्रोड  प्रेरक >>>>   इसमें केवल तार की कुंडली बनी होती है इसका प्रेरकत्व भी निम्न होता है। 
2 . फेराइट क्रोड  प्रेरक >>>>  [फेराइट = लोहा + कार्बन चूर्ण ] फेराइट क्रोड  का प्रयोग होता है ,इनका प्रयोग ट्रांसमीटर ,व  रिसीवर में किया जाता हे। 
3 . लोह क्रोड  प्रेरक >>>>    इसमें क्रोड  नरम लोहे की बनी होती हे ,इसके प्रेरकत्व का मान अधिक होता है। 

                           प्रेरकत्व  दो  प्रकार से होता है। 
1 . स्वप्रेरकत्व  {SELF INDUCTANCE }  =  कुंडली के इस  गुण से एक विरोधी विद्युत वाहक बल पैदा होता है जो कुंडली को दिए गए वि. वा.ब, का विरोध करता है। 
     इसे L से दर्शाते है। 

                                      e = -L di / dt 
2 . अन्योन प्रेरकत्व { mutual inductance } = जब  कुंडली में A C . धारा  बहती हे तो उसके चारो और प्रत्यावर्ती चुंबकीय क्षेत्र  उतपन्न हो  जाता जाता हे , इस क्षेत्र में यदि अन्य कुंडली को लाया जाये तो उसमे भी विद्युत वाहक बल पैदा हो जाता है।
इसे M से दर्शाते है। 
                                  M = √L1L2


>>>प्रेरकीय प्रतिघात {INUCTIVE REACTANCE } ==  किसी प्रेरक द्वारा परिपथ में AC  धारा के बहाव  रुकावट  वाले   गुण  को प्रेरकीय प्रतिघात कहते है। 
इसे XL  दर्शाते हे। 
                                     XL = 2 गFL  
                                      DC  परिपथ में F = 0 
                                       इसलिए XL =0 
?>>>>प्रेरको के संयोजन ठीक प्रतिरोधों  संयोजन  समान  ही होते हे। 
                          श्रेणी क्रम  में L= L1+L2+L3+.................
                          समांतर क्रम में =  1/L= 1/L1+1/L2+1/L3+...... 

 यह भी पढ़े >>> प्रारम्भिक विद्युत  
              >>>> ओह्म का नियम
              >>>>tools


>>>>>आपको यह पोस्ट केसी लगी कमेंट करके जरूर बताये। 



यदि आप आईटीआई पास हो चुके है और आपका ध्यान नौकरी की तरफ नहीं है , तो यह लेख अवश्य पढ़े >>
self employment after iti cource  





 
 

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