inductor , [ प्रेरक] ,INDUCTANCE ,[प्रेरकत्व ]
>>जब किसी ताम्बे के तार को कुंडली का आकार देकर उसमे AC [प्रत्यावर्ती धारा ] प्रवाहित की जाये तो, कुंडली के चारो और परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है एवं कुंडली में एक विरोधी विद्युत वाहक बल पैदा होता है।
>>इस ताम्बे के तार की कुंडली को प्रेरक व् इस गुण को प्रेरकत्व कहते है।
कुंडली द्वारा उत्पन्न प्रेरकत्व कुंडली के आधार पर निर्भर करते है ,क्यों की ये ही चुंबकीय रेखाओ को मार्ग प्रदान करते है।
1 . वायु क्रोड प्रेरक >>>> इसमें केवल तार की कुंडली बनी होती है इसका प्रेरकत्व भी निम्न होता है।
2 . फेराइट क्रोड प्रेरक >>>> [फेराइट = लोहा + कार्बन चूर्ण ] फेराइट क्रोड का प्रयोग होता है ,इनका प्रयोग ट्रांसमीटर ,व रिसीवर में किया जाता हे।
3 . लोह क्रोड प्रेरक >>>> इसमें क्रोड नरम लोहे की बनी होती हे ,इसके प्रेरकत्व का मान अधिक होता है।
प्रेरकत्व दो प्रकार से होता है।
1 . स्वप्रेरकत्व {SELF INDUCTANCE } = कुंडली के इस गुण से एक विरोधी विद्युत वाहक बल पैदा होता है जो कुंडली को दिए गए वि. वा.ब, का विरोध करता है।
इसे L से दर्शाते है।
e = -L di / dt
2 . अन्योन प्रेरकत्व { mutual inductance } = जब कुंडली में A C . धारा बहती हे तो उसके चारो और प्रत्यावर्ती चुंबकीय क्षेत्र उतपन्न हो जाता जाता हे , इस क्षेत्र में यदि अन्य कुंडली को लाया जाये तो उसमे भी विद्युत वाहक बल पैदा हो जाता है।
इसे M से दर्शाते है।
M = √L1L2
>>>प्रेरकीय प्रतिघात {INUCTIVE REACTANCE } == किसी प्रेरक द्वारा परिपथ में AC धारा के बहाव रुकावट वाले गुण को प्रेरकीय प्रतिघात कहते है।
इसे XL दर्शाते हे।
XL = 2 गFL
DC परिपथ में F = 0
इसलिए XL =0
?>>>>प्रेरको के संयोजन ठीक प्रतिरोधों संयोजन समान ही होते हे।
श्रेणी क्रम में L= L1+L2+L3+.................
समांतर क्रम में = 1/L= 1/L1+1/L2+1/L3+......
यह भी पढ़े >>> प्रारम्भिक विद्युत
>>>> ओह्म का नियम
>>>>tools
>>>>>आपको यह पोस्ट केसी लगी कमेंट करके जरूर बताये।
यदि आप आईटीआई पास हो चुके है और आपका ध्यान नौकरी की तरफ नहीं है , तो यह लेख अवश्य पढ़े >>
self employment after iti cource
इसे L से दर्शाते है।
e = -L di / dt
2 . अन्योन प्रेरकत्व { mutual inductance } = जब कुंडली में A C . धारा बहती हे तो उसके चारो और प्रत्यावर्ती चुंबकीय क्षेत्र उतपन्न हो जाता जाता हे , इस क्षेत्र में यदि अन्य कुंडली को लाया जाये तो उसमे भी विद्युत वाहक बल पैदा हो जाता है।
इसे M से दर्शाते है।
M = √L1L2
>>>प्रेरकीय प्रतिघात {INUCTIVE REACTANCE } == किसी प्रेरक द्वारा परिपथ में AC धारा के बहाव रुकावट वाले गुण को प्रेरकीय प्रतिघात कहते है।
इसे XL दर्शाते हे।
XL = 2 गFL
DC परिपथ में F = 0
इसलिए XL =0
?>>>>प्रेरको के संयोजन ठीक प्रतिरोधों संयोजन समान ही होते हे।
श्रेणी क्रम में L= L1+L2+L3+.................
समांतर क्रम में = 1/L= 1/L1+1/L2+1/L3+......
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