प्रतिरोधक के प्रकार , types of resistance
>>>> जब किसी पदार्थ के टुकड़े या उसके तार को एक निश्चित मान का प्रतिरोध उतपन्न करने वाले पुर्जे का रूप दे दिया जाये तो यह पुर्जा प्रतिरोधक कहलाता है।मुख्य रूप से प्रतिरोधक 2 प्रकार के होते है।
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1 वायर वाउंड प्रतिरोधक = ये प्रतिरोधक कठोर अचालक पदार्थो [चीनी मिटटी, सिरेमिक व बैकलाइट पर मेंगनीन और यूरेका के पतले तार लपेटकर बनाये जाते हे
2 कार्बन प्रतिरोधक = ये कार्बन को किसी अचालक पदार्थ में मिलाकर बनाये जाते है। इन पर बने अलग अलग रंग की पट्टियों से इनका प्रतिरोध ज्ञात किया जाता है।
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>>> इन दोनों प्रकारो के और दो दो प्रकार होते है
1 नियतमान प्रतिरोधक >>>> इनका मान बदला नहीं जा सकता।
2 परिवर्ती मान प्रतिरोधक >>> इनका मान आवश्यकता के अनुसार बदला जा सकता है।
>>>>> प्रतिरोधक का मान हम दो विधियों से ज्ञात कर सकते है।
1 मल्टीमीटर से >> इस विधि से प्रतिरोध मान ज्ञात करने के लिए प्रतिरोध को परिपथ से बाहर निकालकर मल्टीमीटर को उपयुक्त रेंज में सेट करके,नोब को प्रतिरोध के दोनों टर्मिनल से जोड़ा जाता है।
2 कलर कोड से>> इस विधि से प्रतिरोध मान ज्ञात करने के लिए प्रतिरोध को परिपथ से बाहर निकलने की जरुरत नहीं होती , प्रतिरोध के ऊपर बनी रंगो की पट्टियों का अलग अलग क्रम अलग -अलग संख्यात्मक मान दर्शाता है।
>>> कलर कोड विधि कार्बन प्रतिरोधक का मान निकालने की विधि है।
> पहली पट्टी = दहाई का अंक
> दूसरी पट्टी = इकाई का अंक
> तीसरी पट्टी = 10 की घात
> चौथी पट्टी = सहनशीलता [TOLERANCE ]
एक उदाहरण के माध्यम से आसानी से समझने की कोशिश करते है।
उदाहरण >> चित्र में दिए गए प्रतिरोधक में
पहली पट्टी = हरा रंग = कोड मान =5
दूसरी पट्टी = नारंगी रंग = कोड मान = 3
तीसरी पट्टी = लाल = कोड मान = 2
चौथी पट्टी = सुनहरा = 5 %
सूत्र से =53 ✖10 की घात 2 士5 %
= 5300 士5 %
कुछ विशेष प्रकार के प्रतिरोधक
A . VDR = [VOLTAGE DEPEND RESISTER ] >>> इस प्रकार के प्रतिरोधक का मान परिपथ में वोल्टेज मान बढ़ने पर बढ़ जाता है।
B LDR = [लाइट DEPENDENT RESISTER ]>>> ये प्रतिरोधक सेलेनियम नामक पदार्थ से बने होते है। प्रकाश किरणों का मान बढ़ने पर इनका प्रतिरोध घटता हे। प्रकाश पड़ने पर खुलने वाले दरवाजो में इस प्रकार के प्रतिरोधक का प्रयोग होता है।
C NTC = [NEGATIVE TEMPRATURE COEFFICIANT ] >> ये प्रतिरोधक ग्रेफाइट से बनाये जाते हे ,इस प्रकार के प्रतिरोधक का प्रतिरोध ताप बढ़ाने से बढ़ जाता हे ,इनका प्रयोग टाइमर परिपथों में होता है।
D PTC = [POSITIVE TEMPRATURE COEFFICIANT] >> ये प्रतिरोधक कोबाल्ट आक्साइड ,मेंगनीज आक्साइड एवं निकल आक्साइड के मिश्रण से बनते है , ,इस प्रकार के प्रतिरोधक का प्रतिरोध ताप बढ़ाने से घट जाता हे ,इनका प्रयोगट्रांजिस्टर परिपथों में बायस स्थिरीकरण हेतु किया जाता है।
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