रविवार, 12 अप्रैल 2020

विशिष्ट प्रतिरोध, प्रतिरोधकता,LAW OF RESISTENCE, प्रतिरोध के नियम



               LAW OF RESISTENCE, प्रतिरोध के नियम


प्रतिरोध पदार्थो का वह स्वभाविक गुण हे ,जिससे पदार्थ अपने में बहने वाली धारा का विरोध करता है इसका प्रतीक R हे। 
>प्रतिरोध का मात्रक ओह्म होता हे इसे Ω से दर्शाते हे।


1 किसी पदार्थ का प्रतिरोध उसकी  लम्बाई के समानुपाती होता है।
             R ∝ L


> किसी चालक  का प्रतिरोध उसकी  लम्बाई बढ़ने पर बढ़ता हे एवं लम्बाई घटने पर घटता  हे। 

2   किसी पदार्थ का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल के विलोमानुपाती होता हे।  
          R ∝1/A
किसी चालक  का प्रतिरोध उसकी  अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल  बढ़ने पर घटता हे एवं  घटने पर बढ़ता  हे। 
           R=ρL/A

>     R= प्रतिरोध
>     L= लम्बाई 
>     A=अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल
>     ρ= विशिष्ट प्रतिरोध 

  विशिष्ट प्रतिरोध,या प्रतिरोधकता

>किसी तार के 1 से. मी.लम्बाई व 1वर्ग cm कटाक्ष क्षेत्रफल भाग का प्रतिरोध उस तार की विशिष्ट प्रतिरोध  या प्रतिरोधकता कहलाती हे।
>विशिष्ट प्रतिरोध  या प्रतिरोधकता का मात्रक =ओह्म-से. मी.   
>  किसी पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध  या प्रतिरोधकता उस पदार्थ के प्रतिरोध स्तर को   बताती है , यह प्रत्येक पदार्थ की अलग अलग होती है। 
.> प्रतिरोधकता  तार  के निर्माण में उपयुक्त पदार्थ  पर निर्भर करती है।
 > लम्बाई और कटाक्ष क्षेत्रफल में बदलाव करने से प्रतिरोधकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
>विशिष्ट प्रतिरोध  या प्रतिरोधकता बढ़ने पर चालकता घटती हे।
 > चालकों में सबसे कम प्रतिरोधकता ताम्बे की है। 

        

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