शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

soldering,सोल्डरिंग

                                   soldering,सोल्डरिंग

सोल्डरिंग के द्वारा किसी जोड़ का स्थायित्व बढ़ जाता हे एवं धारा प्रवाह अधिकतम [१००%] हो पता हे।
दो समान या असमान धातु के तारो को तीसरी धातु की सहायता से उष्मा प्रक्रिया से जोड़ना सोल्डरिंग कहलाता है। 
> इस तीसरी धातु को फिलर धातु कहते हे। 
>ज्यादातर फिलर धातु टिन व सीसे के मिश्रण से बनाते है। 
>फिलर धातु का गलनांक कम करने के लिए मिश्रण में टिन की मात्रा को बढ़ाया जाता हे और सीसे की मात्रा घटाते  हे। 
>आर्मेचर की वाइंडिंग के सिरों को कम्यूटेटर सेगमेंट पर सोल्डरिंग  करके ही जोड़ा जाता हे। 
> सोल्डरिंग क्रिया को आसान बनाने के लिए फ्लक्स का प्रयोगकरते   हे। 

सोल्डरिंग  विधिया 

1 सोडरिंग आयरन द्वारा > इस विधि में 65 -125 वाट सोल्डरिंग आयरन का प्रयोग किया जाता हे 
> सोल्डरिंग आयरन की बिट कॉपर की बनी होती हे। 

2 ब्लो  लैंप द्वारा > इसमें एक ब्लो लैंप और सोल्डर रॉड की आवश्यकता होती है। 
>इस विधि का प्रयोग बड़े जोड़ो पर सोल्डरिंग करने में किया जाता हे। 
3 सोल्डरिंग पात्र और कड़छी द्वारा >> इस विधि  में सोल्डरिंग करते समय जॉइंट के ऊपर गरम गरम फिलर धातु मिश्रण डाला जाता हे। 

याद रखने योग्य 

>प्लंबर व् अन्य मेटल व्यवसायों में उपयुक्त सोल्डर को स्पेलटर कहते है। 
>एल्युमिनियम धातु के जोड़ो पर प्रयुक्त सोल्डर-ALCA -P[टिन 70 %+AL 3 %+2 %]
>फ्लक्स के उपयोग से धातुओं की सतह का आक्सीकरण नहीं है। 
>फ्लक्स सोल्डर को पिघलाने में भी सहायक होता है। 
>सोने ,चांदी को जोड़ने में उपयुक्त फ्लक्स -सुहागा 
>ब्रेजिंग में पीतल का टांका लगाया जाता हे। 
 >सामान्य इलेक्ट्रिकल कार्यो के लिए प्रयुक्त सोल्डर 66 %तीन+34 %सीसा 






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